मंगलवार, दिसंबर 05, 2006

चौपट राजा

॥ आगंतुकों के लिये सूचना ॥

जिस प्रकार मंदिर में जूते-चप्पल पहन कर जाना वर्जित होता है, उसी प्रकार इस पोस्ट को पढने के लिये दिमाग का इस्तेमाल करना वर्जित है।

आगे पढने से पहले अपना दिमाग कृपया यहां => ( ) <= रख छोड़िये। टोकन लेना मत भूलियेगा, कहीं ऐसा ना हो कि वापस जाते समय आप किसी और ही का दिमाग साथ ले कर चलते बनें। :)
5 दिसम्बर 2006

हाल में हुये दंगों की जांच करवाने के लिये कैबिनेट मंत्री श्री चौपट राजा द्वारा गठित जांच समिति ने आज अपनी रिपोर्ट मंत्री जी को सौंप दी। श्री चौपट राजा ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में इस रिपोर्ट का ख़ुलासा किया। मंत्री जी के साथ उनके निजी सचिव श्री बांगड़ू भी थे।

श्री चौपट राजा: नमस्कार! विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं से आये तमाम सज्जन और सज्जनियों का हम स्वागत करता हूं। हमको यह बताते हुये बहुत खुसी हो रहा है कि हाल ही में हुये दंगो का जांच का काम पूरा हो गया है। जांच समिति ने अपना रिपोर्ट हमको दे दिया है। अब हमारे पास दंगे के कारण और उनसे जुड़े हुये पूरे तथ्य मौजूद हैं।

(प्रेस के प्रतिनिधि तालियां बजा कर स्वागत करते हैं)

प्रेस: मंत्री जी, बड़े आश्चर्य की बात है, आम तौर पर जांच समिति रिपोर्ट देने में इतना समय लगा देती हैं कि अभियुक्त को दण्ड देने का मौका ही नहीं मिलता है, वह ऐसे ही परलोक सिधार जाता है। इस बार यह रिपोर्ट प्रकाश गति से कैसे आ पहुंची?

श्री चौपट राजा: यह प्रकाश कौन है? हमारा उससे कौनो टाई अप नहीं है।

प्रेस: जी, हमारे पूछने का तात्पर्य था कि रिपोर्ट इतनी जल्दी कैसे आ गयी?

श्री चौपट राजा: अरे तो प्रस्नवा हिन्दी में पूछिये ना। देखिये, हमारी सरकार की नीति सदा से ही उदारीकरण की नीति रही है। लेकिन उदारीकरण में बह कर हम अपना देस का विचार धारा नहीं ना भूले हैं – ये आप जान लीजिये हां। हम वसुधैव कुटुंबुकम् में भरपूर विस्वास रखते हैं। उदारीकरण और वसुधैव कुटुंबुकम् के विचारों को देखते हुये इस बार जांच करने का काम हमने एक फारेन कम्पनी को दे दिया। और यह पूरी जांच पड़ताल इंगलैण्ड की एक कम्पनी ‘लाइसेन्स टु किक’ ने किया है।

प्रेस: आन्तरिक जांच का काम विदेशी कम्पनी को……?

श्री चौपट राजा: काहे? आपको कौनो प्राबलम है क्या? अरे रिपोर्टवा देखिये – कैसा बढिया ग्लासी पेपर पर छापे हैं, साथ में डेड बाडी वगैरह का फोटू देखिये कैसा दिल दहलाने वाला है, बर्निंग ट्रेन का फोटो भी बहुत अपीलिंग है। और जो इंगलिस वाला रिपोर्ट है ना – उसका इंगलिस पढिये इतना फस्ट किलास लिखे हैं कि हमका तो समझै में नहीं आ रहा है – क्वीन्स इंगलिस! बिलकुल परफेक्ट!! आप लोग भी डिक्सनरी विक्सनरी ले कर पढना।

प्रेस: मंत्री जी, पैकिंग अच्छी होने का यह मतलब तो नहीं कि अंदर का सामान भी अच्छा होगा।

श्री चौपट राजा: प्रेस के साथ यही मुसीबत है, आप लोग बहुत निरासावादी लोग हैं, अरे भाई कबहिं हमारा तारीफ़ भी किया करो – झटपट रिपोर्ट लाकर दिये हैं उसका तारीफ भी तो करो॰॰॰॰! इतना जल्दी तो मैगी नूडल भी नहीं बनता है। और सुनिये फारेन कम्पनी ने केवल इसी दंगे की जांच नहीं किया है, उन्होंने हमारे देस में अब तक हुये सारे दंगों का निसुल्क विस्लेसण भी किया है – बिलकुल फिरी।
उन्होंने बहुत बढिया और कनक्लूसिव रिपोर्ट दिया है। अब आप लोग सांत हो कर बैठिये और हमका रिपोर्ट बतलाने दीजिये॰॰॰

प्रेस: जी बताइये!

श्री चौपट राजा: देखिये, पूरा रिपोर्ट बतलाने का टाइम नहीं है, इसलिये हम सीधा ‘रूट काज़ एनालिसिस’, ‘कन्क्लूजन’ और ‘प्रिवेन्टिव ऐक्सन’ का निस्कर्स बतलावेंगे।

प्रेस: श्री गणेश करिये!

श्री चौपट राजा: रिपोर्ट के अनुसार कुछ साल पहले हमारे देस के एक पश्चिमी राज्य में कुछ अनैतिक तत्वों ने ट्रेन के एक डिब्बे में आग लगा दी थी। इस डिब्बे में कुछ यात्री लोग सफर कर रहे थे, कुछ तीर्थ यात्री, ऊ सब बेचारे यात्री जल कर मर गये, इसकी वजह से बाद में पूरे राज्य में भीसण दंगा फसाद हुआ। बहुत से लोग मरे, जले, बेघर हुये और पूरी दुनिया ने हमारा तमासा देखा। तो फिर अब ध्यान से देखिये – रूट काज़ क्या था?

प्रेस: मेरे विचार से तो उपयुक्त शिक्षा और मार्गदर्शन के अभाव में हमारा युवा वर्ग पथभ्रष्ट हो गया है, वह अनैतिकता के मार्ग पर चल पड़ा है, जिसकी वजह से यह दंगे-फसाद हो रहे॰॰॰॰॰

श्री चौपट राजा: अरे आप कइसन बतिया बतला रहे हैं? सतयुग में रह रहे हैं का? अनैतिक तत्व तो रहेंगे ही भाई! राम राज्य थोड़े ही ना है कि अनैतिक तत्व ना रहेंगे॰॰॰

प्रेस: तो॰॰॰॰

श्री चौपट राजा: मूल कारण अनैतिक तत्व नहीं हैं – मूल कारण है ‘रेलवेज़’!

प्रेस: हैं॰॰॰॰॰॰!?!?!? वह कैसे मान्यवर, आप यह कैसे कह सकते हैं?!?!?!

श्री चौपट राजा: क्यों चौंक गये ना! यह हम नहीं कह रहा हूं, यह तो ‘लाइसेंस टु किक’ की रिपोर्ट कह रही है भाई। हम हिन्दुतानी लोग ऐसा एनालिसिस कहां कर पाते, ये तो इंगलिश कम्पनी की महरबानी है कि इतना टू द पाइन्ट रिपोर्टवा दिया है।

प्रेस: मंत्री जी जरा विस्तार में बताइये और जरा जल्दी बताइये, मारे उत्सुकता के कहीं हमारा दम ना निकल जाये॰॰॰॰॰

श्री चौपट राजा: देखिये, अगर ट्रेन नहीं होता तो यात्री नहीं होते - यदि यात्री नहीं होते तो तीर्थ यात्री नहीं होते - अगर तीर्थ यात्री नहीं होते तो धार्मिक विसमतायें नहीं होती - विसमतायें नहीं होती तो घृणा नहीं होती - घृणा नहीं होती तो कौनो को पागल कुत्ता काटे है का, कि बिला वजह जाकर गाड़ी में आग लगा देता। तो सब का सुरुआत कैसे हुआ – ट्रेन से ही तो हुआ ना – तो रूट काज़ या मूल कारण का हुआ – ‘रेलवेज़’!

प्रेस: ज्ञानी चौपट राजा की जय! ‘लाइसेंस टु किक’ की जय!!

श्री चौपट राजा: सांती बनाये रखिये। सुनिये, आगे रिपोर्ट में लिक्खा है कि कुछ महीने पहले हमारे महानगर की लोकल ट्रेनों में सात आठ धमाके हुये थे।

प्रेस: जी॰॰जी॰॰हमें याद है।

श्री चौपट राजा: इन धमाकों का क्या मकसद था? अरे भैया सीधा मकसद था, हमारे देस की अर्थ cयवस्था को ‘डी-रेल’ करने का। तो सोचिये के हमारी अर्थ cयवस्था को सबसे बड़ा खतरा किससे है?

प्रेस: जी॰॰ चीन से ॰॰

श्री चौपट राजा: अरे आप कइसे पत्रकार बन गये भाई, इतना समझाने के बाद भी नहीं समझ पाते हैं, अब हमरी समझ में आया कि लोग पत्र पत्रिकाओं को छोड़ कर ब्लाग काहे पढने लगे हैं, आप जैसे लोग रहे तो सब मैगजीन-फैगजीन एक दिन बंद हो जावेगा। सबसे बड़ा खतरा है रेलवेज़ से, लोग जब चाहेंगे हमारी दौड़ती भागती अर्थ cयवस्था को ट्रेन में धमाके करके ‘डी-रेल’ कर देंगे॰॰॰॰रिपोर्ट में लिक्खा है भाई – इंगलिस रिपोर्ट!


प्रेस: मगर नेता जी, इस बार के दंगे तो किसी और ही कारण से शुरू हुये थे। इसमें ट्रेन का तो कोई॰॰॰॰॰

श्री चौपट राजा: ॰॰॰॰ लेना देना है। रिपोर्ट में लिखा है कि दंगे तो सिर्फ बहाना था, दरअसल लोग ट्रेन फूंकना चाहते थे और फिर देखिये अंतत: ट्रेन को फूंका भी गया॰॰॰तो देखिये हर दंगे में एक चीज़ कामन है और वह है ट्रेन। सारे फसादों की जड़ ट्रेन – कुछ दिन पहले एक पुल भी ट्रेन पर ढह गया – यह ईश्वर की ओर से दी गयी चेतावनी है एक इशारा है कि ट्रेन से वह भी नाखुश हैं॰॰॰॰

प्रेस: ज्ञानी चौपट राजा की जय! ‘लाइसेंस टु किक’ की जय!!

श्री चौपट राजा: सांती॰॰॰सांती, यह तो मूल कारण था, इसलिये हमारी सरकार ने यह फैसला किया है कि राष्ट्र हित में और भविष्य में दंगे बंद करने के लिये रेलवे को ही बंद कर दिया जाये, ना रहियै सुसुरा बांस ना बजिहै सुसुरी बांसुरी!

प्रेस: मगर नेता जी, हमारे पास रेलेवे का जो इतना बड़ा नेटवर्क है – इनफ़्रास्ट्रक्चर है उसका क्या होगा?

प्रेस: और रेल मंत्रालय का क्या होगा?

श्री चौपट राजा: इन सब विसयों पर हमने पार्टी के आला कामान से बात कर ली है॰॰॰

प्रेस: प्रधानमंत्री जी से बात क्यों नहीं करी?

श्री चौपट राजा: अब उनसे बात करके कौनो फायदा होने वाला है कि उअनसे बात करें, अरे वह भी तो वही करिहैं जो आला कमान की इच्छा होइहै।

रेलवे मंत्रालय का नाम बदल कर ‘ऐंगर मैनेजमेंट मिनिस्ट्री’ रखा जायेगा। यह मंत्रालय देस के क्रुद्ध लोगों को अपना गुस्सा ठंडा करने की मदद करेगी। इसी में हम अपना रेलवे का इनफ़्रास्ट्रक्चर भी इस्तेमाल करेंगे। कम गुस्सा है तो आप रेलवे के डिब्बे में जाकर बल्ब वगैरह फोड़ लीजिये, अधिक नारजगी है तो सीसा-कांच तोड लीजिये और अगर बहुत अधिक और सामुदायिक गुस्सा है तो पूरी की पूरी बोगी फूंक डालिये।

प्रेस: रेलवे के इम्प्लाइज़ का क्या होगा?

श्री चौपट राजा: उनको हम वैसे ही नौकरी पर रखेगे, दंगे फसाद बिना खून बहाये अधूरे रहते हैं, इसके लिये हम रेलवे के इंप्लाइज़ का इस्तेमाल करेंगे।

प्रेस: मंत्री जी वो बेचारे मर जायेंगे तो उनके बीबी-बच्चों का क्या होगा?

श्री चौपट राजा: यह कैसा फालतू टाइप का सवाल है, लगता है आपको रेलवे की परंपरा नहीं मालुम, पिता की मृत्यु के पश्चात पुत्र को उसकी संती नौकरी दे दिया जाता है॰॰॰

प्रेस: मतलब बाप तो मरा बेटा भी मरे॰॰॰

श्री चौपट राजा: देस के लिये इतना भी नहीं कर सकते॰॰॰॰?

प्रेस: और गरीब आदमी सफर कैसे करेगा?

श्री चौपट राजा: सब लोग हवाई जहाज से सफर करेंगे, ‘ढक्कन एयर’ एक-एक रुपये में टिकट बेंच रही है, इतना सस्ता तो रेलेवे भी नहीं बेंच पाती है। और रेलवे की तरह उनकी उड़ाने भी आठ-दस घंटा देर से आती हैं, हवाई जहाज में लड़की लोग चिल्ला-चिल्ला कर समोसा, चाय, बिस्कुट बेंचती हैं – एबरी बडी विल फील ऐट होम।

प्रेस: मंत्री जी, यह सब तो ठीक है लेकिन एक बात तो रिपोर्ट में लिखी ही नहीं गयी है॰॰॰॰

श्री चौपट राजा: ऊ का?

प्रेस: यह कि दंगे भड़काने, ट्रेने जलाने, खून बहाने वाले लोग आखिर हैं कौन?

श्री चौपट राजा: हमको तो इसमें विदेसी ताकत का हाथ॰॰॰॰

(श्री बांगड़ू अचानक हरकत में आते हैं और हड़बड़ा कर मंत्री जी के कान में फुसफुसाते हैं)

श्री बांगड़ू: (मंत्री जी के कान में) अरे मंत्री जी आप यह क्या अनाप शनाप बोल रहे हैं, कुछ सोच समझ कर बोलिये, ‘हाथ’ तो हमारा चिह्न है, हमारी ‘ताकत’ कौन है यह भी आप जानते हैं – ताकत का ‘विदेसी’ होना भी आप जानते हैं – कहीं ऐसा ना हो आला कमान भी ऐसा ही कुछ अर्थ निकाल बैठें। आज तो आप कैबिनेट मंत्री हैं कल से सड़क के किनारे बैठ कर लकड़ी के कैबिनेट बेंचते नजर आयेंगे॰॰॰॰॰’ज़ेड’ क्लास सेक्योरिटी कवर भी छिन जायेगा।

श्री चौपट राजा: (सकपका कर गला साफ़ करते हुये) तो हम कह रहे थे कि हमको तो इसमें विदेसी ताकत का हाथ नहीं लगता है, बलकी हमें तो इसमें कौनो का ही हाथ नहीं लगता है॰॰॰ हाथ का तो सवालै नहीं है।

प्रेस: तो फिर॰॰॰?

श्री चौपट राजा: रिपोर्ट में लिखा है कि इसमें पूंजीवादियों की चाल हो सकती है – ‘चाल’ कह रहा हूं ‘हाथ’ नहीं कह रहा हूं – जरा ध्यान से लिखियेगा। इसके लिये फिर से ‘लाइसेंस टु किक’ का मदद लिया जायेगा, रिपोर्ट आते ही आपको तुरंत बताएंगे।

प्रेस: पूंजीवादी॰॰॰॰? जरा विस्तार में बताइये!

श्री चौपट राजा: अभी हम कुछ नहीं बता सकते (मुंह में ही बड़बड़ाते है – बिला वजह कुछ मुंह से निकल गया तो सुसुरी लाल बत्ती की गाडी भी जइहै) रिपोर्ट आते ही फुल डीटेल बतलाऊंगा – अब चलता हूं।

मंत्री जी हड़बड़ा कर संवाददाता सम्मेलन से निकल लेते हैं।

13 टिप्‍पणियां:

अतुल श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत मजैदार वयंग लिखै हो. पढ़ कर हंसते हंसते पेटवा में ससुरा बल पड़ गवा.

वैसे लेख का उपयुक्त शीर्षक होना चाहिये था -

चौपट राजा के चौपट देश के महा चौपट नागरिक.

बोलो चौपट भगवान की जय!

बेनामी ने कहा…

ज्ञानी चौपट राजा की जय! ‘लाइसेंस टु किक’ की जय!!
अनुराग भाई जिन्दाबाद (३ बार)

Udan Tashtari ने कहा…

अरे, ऐसा हँसी में फसाये कि हमारा टोकन ही कहीं गिर गया, अब क्या होगा!! :)

Raag ने कहा…

टोकनवा ता हमारा भी खो गया जी। इ बिदेसी हाथ का चक्कर अब समझ आया...

Laxmi ने कहा…

अनुराग भाई,

मान गए। बहुत बढ़िया व्यंग्य लिखे हो।

बेनामी ने कहा…

...humko bahut hi maja aaya ....jaya ho chupat raja ki

संजय बेंगाणी ने कहा…

क्या खुब मौज ली है.
मजा आया.
अंधेरी नगरी...चौपट राजा

Jitendra Chaudhary ने कहा…

ज्ञानी चौपट राजा की जय! ‘लाइसेंस टु किक’ की जय!! मजा आया.
बहुत सानदार लिखे हो बबुआ। इ सीरीज चालू रखी जाए।

बेनामी ने कहा…

आपके लेख के लिए मुँह से वाह और चौपट व्यवस्था के लिए आह निकली।

Pratyaksha ने कहा…

एक दो नहीं कई वाह इस लेख के लिये

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

सोचा मैने लिखूँ टिप्पणी, पर दिमाग घर भूल गया था
इसीलिये कुछ सोच न पाया और टिप्पणी लिख न पाया
केवल इतना सोच रहा हूँ, इस बेजोड़ सोच को तुमने
अपने लेखन के बस्ते में रखा हुआ था कहाँ दबाया

अनुराग श्रीवास्तव ने कहा…

हौसला बढ़ाने के लिये आप सब का तह-ए-दिल से शुक्रिया.

:)

ePandit ने कहा…

अरे आपने टोकन नम्बर तो दिया ही नहीं। अब क्या होगा, हमारा दिमाग यहीं रह गया। ढूंढ कर रखना। ब हू हू। :)