गुरुवार, फ़रवरी 28, 2013

हरी हरी वसुंधरा (अंतिम भाग)

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत


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रज्जू भाई ने पर्यावरण सप्ताह के बारे में अखबारों में लेख लिखे. शहर भर में बैनर लगवा कर प्रचार किया. जालियाँवालाबाग़ में भी तैयारियाँ जोर शोर से चल रही थीं. .सी. टेंट लगा, गुकाने बनीं, झूले लगे, कार पार्क तैयार हुआ. और फिर पर्यावरण दिवस पर पड़ोसी राज्य के पर्यावरण मंत्री ने उद्घाटन किया. .सी. टेंट में उन्होंने पत्रकारों और नगर के प्रबुद्ध नागरिकों के साथ बैठ कर पर्यावरण के बारे में विचार विमर्श करने के बाद ऐलान किया,” यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है कि आपकी राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूर्णतया उदासीन है. राज्य में सरकारी ठेकों पर पेड़ की कटाई चल रही है, पालीथीन से प्रदूषण बढ़ रहा है, बिजली की कमी लोगों को जेनरेटर चलाने पर मजबूर करती है जिससे प्रदूषण फैल रहा है, तमाम नगरों में बड़े बड़े मॉल खोले जा रहे हैं जो वातानुकूलित संयंत्र चलाने के लिये बेइंतिहा बिजली इस्तेमाल करते हैं. सरकार की पर्यावरण विरोधी नीतियों से प्रदूषण बढ़ा है तथा जन साधारण के स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. आइये, हम यह सौगंध खायें कि आगामी चुनाव में हम जन विरोधी सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकेगे. अगले चुनाव में हमें विजयी बनाइये हम यह वादा करते हैं कि हम अपनी नीतियों से पर्यावरण के सुधार के लिये अभूतपूर्व कार्य करेंगे.”
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भाषण के बाद मंत्री जी ने मेले का एक चक्कर लगाया और दुकानों पर खड़े हो कर खाना भी खाया. मंत्री जी के दर्शन से दुकानदार भी धन्य हो गये और झटपट चमचमाती हुयी प्लास्टिक की डिस्पोजेबल प्लेटों में मंत्री जी को खाना परोसा.
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प्लास्टिक की डिस्पोजेबल प्लेटें और गिलास देख कर राजेश बाबू एक दुकानदार पर चढ़ बैठे,” अबे प्लास्टिक की प्लेटें क्यों इसतेमाल कर रहे हो? यह पर्यावरण मेला है और तुम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली प्लास्टिक...?”
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दुकानदार ने बताया,” साहब हमने कुल्हड़ और पत्तल बहुत ढ़ूँढ़ा, लेकिन सारे कुम्हारों ने कुलहड़ बनाना बंद कर दिया है, कहते हैं कमाई ही नहीं है. सब कुम्हारों ने प्लास्टिक का गिलास बनाने वाली फैक्ट्री में नौकरी कर ली है. जो इक्कादुक्का कुम्हार बचे हैं वो इतना मंहगा बेंचते हैं कि उतने में तो प्लास्टिक की पूरी दुकान जाये.”
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मैं ने राजेश बाबू के कान में फुसफुसाया,” ये छोटे छोटे इंजेक्शन मत देखो, बड़ी बीमारी देखो.”
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रज्जू भाई ने हमें मंत्री जी से मिलवाया. हमने उनकी चरण रज को माथे धरा और नीचे बैठ गये. राजेश बाबू ने कहा,” मंत्री जी आप और रज्जू भाई बहुत महान हैं जो पर्यावरण के लिये इतना सोचते हैं.”
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देखिये राजेश बाबू, हमारी नजर में पर्यावरण एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसी मुद्दे के बल पर हम अगले चुनाव में आपके राज्य ही में नहीं बल्कि केन्द्र में भी अपनी सरकार बनायेंगे.”
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मैं ने भी छोड़ दिया,” जी मंत्री जी, अब देखिये ना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने से वैश्विक ऊष्मीकरण हो रहा है. पृथ्वी का तापमान बढ रहा है और ....”
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मंत्री जी बीच में ही बोले,” यही तो! तापमान बढ रहा है. इसी लिये अब घर घर में .सी. की जरूरत है. ज्यादा बिजली की जरूरत है. हम अगर सत्ता में गये तो भारत के हर घर में .सी. लगवा देंगे. रज्जू इसे नोट कर लो बेटा यह भी हमारा चुनावी मुद्दा बनेगा.”
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संजय बड़े अचरज से बोले,” मगर मंत्री जी, इससे तो और प्रदूषण बढ़ेगा और तापमान भी बढ़ेगा. बढ़ते तापमान से ध्रुवीय हिमखण्ड पिघल जायेंगे, समुद्री जल स्तर ऊँचा हो जायेगा. भूखण्ड जल मग्न हो जायेंगे. प्रलय जायेगी ....!”
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नेता जी भृगुटी सिकोड़ कर बोले,” धत पगले! संजय बेटा तुम बहुत भोले हो. अरे यह सब बातें पश्चिमी देशों ने फैलाई हैं. देखो वो खुद तो प्रगति कर के अमीर बन गये अब जो हमारी बारी आई है तो हमारे रास्ते में तमाम अड़चने खड़ी कर रहे हैं. तरह तरह से डरा रहे हैं. ये सब पश्चिमी विश्व की मन गढ़ंत बातें हैं बेटा. अच्छा चलो मान भी लेते हैं कि भूखण्ड डूब जायेंगे. तो? भाई हमें कैसा डर? हमारे देश में तो विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत हैं, सारी दुनिया डूब जायेगी तो भी वे अपना सिर ऊँचा उठाये पानी से ऊपर निकले रहेंगे. तो भाई हमारे पास तो हमेशा ज़मीन रहेगी. है कि नहीं?! तो भैया ये ग्लोबल वार्मिंग से हम काहे डरें, डरना है तो वो डरें जो डूब जायेंगे.”
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मनीष से रहा ना गया और वो भी पूछ बैठा,” मंत्री जी, ये प्लास्टिक और पालीथींन..?”
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देखो बेटा, इतनी तरह तरह की बीमीरियाँ निकल पड़ी हैं कि अब तो प्लास्टिक के बर्तनों में ही खाना उचित है, मैं तो कहता हूँ कि उसे रिसायकिल भी नहीं करना चाहिये. खाइये और फेंकिये!”
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मगर मंत्री जी, पूरा पश्चिमी विश्व रिसायकिल की बात कर रहा....” मनीष ने अचंभे से कहा.
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लो तुम फिर पश्चिमी देशों की बातें करने लगे. अरे अगर उनका बस चले तो हमसे कहें कि खाना भी रिसायकिल करो. वो हमारा धर्म भ्रष्ट करना चाहते हैं. हमारे धर्म में किसी का जूठा खाना मना है और जूठा बर्तन इसतेमाल करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता. ये सब हमें हिन्दू धर्म से तोड़ना चाहते हैं. इतिहास गवाह है कि इन्होंने कारतूस में सुअर और गाय की चर्बी लगा कर हमारा धर्म भ्रष्ट करने का प्रयास किया था. आज ये फिर हमें रिसायकिल बर्तनों में खिला कर हमारे धर्म पर हमला कर रहे हैं. अब हम इतने मूर्ख नहीं हैं कि उनकी इन गूढ़ चालों को समझ ना सकें. धर्म के नाम पर तो हम कुछ भी कर सकते हैं. तोड़-फोड़, लूट-पाट, दंगे-फसाद. ये कमबख़्त हमारे धर्म पर हमला कर रहे हैं.”
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मंत्री जी की बातें सुन कर मन बड़ा हल्का हुआ. पश्चिमी देशों की कुटिल नीतियों का कच्चा चिट्ठा खुल कर सामने गया. मैं ने भी जोश में आकर कह दिया,” अच्छा है, सबसे पहले इंगलैण्ड ही डूबेगा. दो सौ साल तक उन्होंने हम पर अत्याचार किये. हमको लूटा. हमारे मुँह में गाय और सुअर की चर्बी डाली. अब हम सारे पेड़ काट कर ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देंगे, पर्यावरण को नुकसान पहुँचायेंगे, ताकि समुद्रीय जल स्तर बढ़े और इंगलैण्ड डूब जाये. अरे बड़े आये थे हमारे धर्म को भ्रष्ट करने हुँह, अब तो डुबो कर ही दम लेंगे.”
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मंत्री जी ने हाथ उठा कर आशीर्वाद दिया,” तथास्तु!”
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राजेश बाबू बोले,” सही कह रहे हो! जब धर्म ही संकट में हो तो पर्यावरण ले कर चाटेंगे क्या? डुबाओ अंग्रेजों को!!”
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हम लोगों ने कुल्हाड़ी उठाई और अपने मोहल्ले में लगे सारे पेड़ों को काटने की कसम ली. इस तरह हमारा पर्यावरण दिवस सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ.
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अपने धर्म की रक्षा के लिये आप भी कुल्हाड़ी उठाइये और आस पास लगे पेड़ों को काट डालिये. धर्म के इस मार्ग में आपको बहुत अवरोधों का सामना करना पड़ेगा. अरुंधति रॉय और मेघा पाटकर जैसे विदेशी एजेंट धर्म के मार्ग में अविरत बाधायें डालेंगे.
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धर्म बचाओ समिति के लिये यदि आप चंदा देना चाहें तो नगद या चेक द्वारा मुझे भेज सकते हैं


(इति)

1 टिप्पणी:

सुरिन्दर सिंह ने कहा…

बहुत खूब...