देवी विपदा से पार करो
क्रंदन वंदन स्वीकार करो
फिर छलका है विष मंथन से
माँ, करो अर्चना अभदन से
इस असुर रोग पर वार करें
भेदें मस्तक, संहार करें
कर धर त्रिशूल इस दानव का
जो नाश करे है मानव का
उसको अस्तित्व विहीन करें
उसकी शक्ति को क्षीण करें
खोल समाधि उठो शंकर
हम अरज करें गिर कर पग पर
ये गहरा काला सिंधु गरल
लूटे जाता जीवन प्रतिपल
इस सिंधु को बांध जटाओं से
हमको रक्षो विपदाओं से.