tag:blogger.com,1999:blog-33207856.post6547743520300080338..comments2023-07-03T20:08:03.346+08:00Comments on पानी के बताशे: चायनीज़ भोजन - चुन्नू, मुन्नू और मैंअनुराग श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/17660942337768973280noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-56955726424784324542007-02-10T01:22:00.000+08:002007-02-10T01:22:00.000+08:00हा हा!! lice!!अयिययिय्यो!! ऐसे खाने के बारे मे पढन...हा हा!! lice!!अयिययिय्यो!! ऐसे खाने के बारे मे पढने पर ही हालत खराब हो गई..लेकिन आप लिखते ही इतना अच्छा हैं कि मरते(पढते) क्या न करते! कि तर्ज पर पढ्ना ही पडता है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-8387719006751510982007-02-09T15:16:00.000+08:002007-02-09T15:16:00.000+08:00निंगबो के बारे में और जानने कि उत्सुकता है।भौगोलिक...निंगबो के बारे में और जानने कि उत्सुकता है।भौगोलिक स्थिति-दक्षिण पूर्वी तट? हाँग-काँग के निकट?शहर में साइकिल चालकों(जिनकी संख्या के लिए चीन की प्रसिद्धि थी) की स्थिति?उपभोक्तावाद की हालत?नेट पर सुना है काफ़ी रोक है?बिना नेट से जुड़े वहाँ भी आप न रहे होंगे।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-65301608758151237252007-02-09T12:49:00.000+08:002007-02-09T12:49:00.000+08:00निंगबो एक छोटी जगह है और वहाँ भाषा की दिक्कत के का...निंगबो एक छोटी जगह है और वहाँ भाषा की दिक्कत के कारण ऐसा हुआ. मैं इसके पहले भी 2-3 बार चीन गया हूं, लेकिन वह सारी यात्रायें शंघाई की थीं. शंघाई में अच्छी खासी अंग्रेजी बोली जाती है और इसी कारण वहाँ ऐसी दिक्कत नहीं आयी. <BR/><BR/>वैसे चाइनीज़ खाना बढ़िया होता है और मुझे काफी पसंद भी है – हां भाई ‘निंगबो लोकल स्टाइल’ – ना बाबा ना. <BR/><BR/>@ जगदीश: क्या पता भैया – कभी किसी यात्रा में ढ़ेंचू ढ़ेंचू या भौं भौं भी खा चुके हों. 4 महीने कोरिया में भी रहा हूं ना!! खैर वो कहानी फिर कभी.<BR/><BR/>@ श्रीश: भैया माफ़ करना, लाब्सटर को हिन्दी में क्या कहते हैं मालूम नहीं, आमची मुम्बई में भी सारे रेस्टोरेंट वाले लाब्सटर ही कहते हैं. वैसे ब्लॉग पर फोटो लगा दी है.<BR/><BR/>@ आशीष: जापानी खाना तो मैं बड़े चाव से खाता हूं – कच्चा खाने से मुझे कोई परहेज नहीं है (ऑयस्टर तो कच्चे की खाये जाये हैं) लेकिन जिंदा खाना - कुछ ज्यादा ही हो गया ना! <BR/><BR/>@ संजय और मनीष: चीन में अपने देशी और शाकाहारी रेस्टोरेंट भी हैं लेकिन छोटी जगहों पर नहीं हैं. वैसे मौका मिले तो चीन जाइयेगा जरूर – वहां पर विकास “दिखाई” देता है, महसूस होता है. बहुत तरक्की कर गये हैं. <BR/><BR/>@ उड़न तश्तरी: समीर जी, ‘राइस’ की जगह ‘लाइस’ आ जाता तो सोचिये क्या हाल होता! ‘डम्पलिंग्स’ वही जो ‘वॉनटॉन’ सूप में गुझिया जैसे पड़े रहते हैं. मैंने उससे यह नहीं पूछा कि इसमें भरा क्या है – भगवान जाने क्या जवाब मिलता ! वैसे थे बहुत बढ़िया.<BR/><BR/>@ अनूप: हुम्म! आपको मज़ेदार लगा, ठीक है अगली बार जब लखनऊ आना होगा तो हम दोनो साथ में चलेंगे, कैसरबाग़ के मछली बज़ार और वहीं बैठ कर खाना-वाना होगा. :-)<BR/><BR/>@ अतुल: अफ्रीका के कई देशों में बहुत बढ़िया खाना मिलता है. वैसे मिस्त्र, तुर्की और ग्रीक खाना भी बढ़िया होता है. <BR/><BR/>@ तरुण: मैं ने भी इस प्रकार की काफ़ी भयावह कहानियाँ सुनी हैं - वैसे सिंगापुर में मेंढक की टांगें कई बार खा चुका हूं. सिंगापुर वाकई “Food Heaven” है.अनुराग श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/03416309171765363374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-68297174941313850942007-02-09T11:20:00.000+08:002007-02-09T11:20:00.000+08:00गनीमत मानिये कि समुद्री जीव ही मिले खाने को, ये तो...गनीमत मानिये कि समुद्री जीव ही मिले खाने को, ये तो और भी ना जाने क्या क्या पकाते और खाते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-42328786276640278632007-02-09T10:45:00.000+08:002007-02-09T10:45:00.000+08:00अपने साथ भी ऐसी ही दुर्घटना घटी जब न्यूज़ीलैंड में ...अपने साथ भी ऐसी ही दुर्घटना घटी जब न्यूज़ीलैंड में लाल लाल रंग की टमाटर वाली करी का ऑर्डर दे बैठे - पहले ही कौर के बाद पता चला कि वो tripe थी. ऐसी सड़ी बदबू थी कि दो दिन तक कुछ खाया ही नहीं गया. वैसे विविध प्रकार के खाना ट्राई करने में मैं महारथी हूँ. कभी इथियोपियन खाना मिले तो जरूर से खाना - लज़ीज़!अतुल श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17285074473402112374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-87368317872533211632007-02-09T10:31:00.000+08:002007-02-09T10:31:00.000+08:00मजेदार !मजेदार !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-86416645624707658602007-02-09T02:26:00.000+08:002007-02-09T02:26:00.000+08:00डम्पलिंग्स- यह कौन सी डिश होती है? बाकि का एडवेंच...डम्पलिंग्स- यह कौन सी डिश होती है? बाकि का एडवेंचर मजेदार रहा. राईस मंगा लेते, कम से कम पेट तो भर जाता. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-1584448333182362532007-02-09T00:14:00.000+08:002007-02-09T00:14:00.000+08:00बताइए हम जैसे शाकाहारियों का क्या होगा !बताइए हम जैसे शाकाहारियों का क्या होगा !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-41025424519895263412007-02-08T19:30:00.000+08:002007-02-08T19:30:00.000+08:00मौका आने पर भी चीन जाने के बारे में दो बार सोचुंगा...मौका आने पर भी चीन जाने के बारे में दो बार सोचुंगा :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-70399250326269799732007-02-08T14:35:00.000+08:002007-02-08T14:35:00.000+08:00ये चायनीज और जापानी खाना सही मे बहुत बडा एडवेंचर ह...ये चायनीज और जापानी खाना सही मे बहुत बडा एडवेंचर होता है। मैने सुसी(जापानी डीश) का नाम काफी सूना था। एक बार खाने की कोशीश की , पता चला की सूसी मछली को चावल से साथ कच्चा ही परोसा जाता है। <BR/>फिर क्या था, सामने के मैकडोनाल्ड मे जाकर चिकन बर्गर खाया :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-71156475654051964102007-02-08T03:57:00.000+08:002007-02-08T03:57:00.000+08:00अच्छा एडवेंचर था। ये लाब्सटर होता क्या है, कोई समु...अच्छा एडवेंचर था। ये लाब्सटर होता क्या है, कोई समुद्री जीव ?<br /><br />आपका तो फिर भी शुक्र है, हम तो एक बार अपने ही देश में ठगे गए।<br /><br />परिचारिका कि इंग्लिश मजेदार थी।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-33207856.post-34297341413424188692007-02-08T03:20:00.000+08:002007-02-08T03:20:00.000+08:00भैया, विदेश में हिंदुस्तानी पानी के बताशे बहुत याद...भैया, विदेश में हिंदुस्तानी पानी के बताशे बहुत याद होंगे।<br />विदेश में जो कुछ खाना पड़ता है उसे आप मजबूरी कहेंगे या एडवेंचर?<br />आंखों देखा विवरण अच्छा रहा। ढेंचू ढेंचू से तो बेहतर ही रहा डिनर :)Anonymousnoreply@blogger.com